*** शक ****
क्यों शक हो रहा है मुझे
ऐ खुदा तेरी मौजूदगी का
चिराग-ए-दिल बुझता जाये
शक-ए-तूफान. से
बुझ जायेगा चिराग-ए-दिल
रोका नही शक-ए-तूफान तो
निकालो दिल के अरमां बाहर
वरना यूं ही दबे रह जायेंगे ।।
शक-ए-तूफां को कभी
ये ही हवा देंगे सभी
ऐ खुदा तेरी मौजूदगी का
क्यों शक है मुझे ।।
?मधुप बैरागी