शक
हर दिन शक की निगाह से
देखा कर न मुझे
मैं तेरा हूं मैं तेरा ही रहूंगा
तू शक न कर मुझ पे
मैं सच कहता हूं
तो तुम्हें झूठ लगता है
जब इंसान शक करने लगे
सत्य बात भी झूठ लगता है
बात बात पर शक करते हो तुम
छोटी छोटी सी चीजों के लिए
लड़ते हो तो तुम
मैं घुट घुट कर रोती हूं तो
तुम्हें अच्छा लगता है
कुछ पल के लिए
घर से चली जाती हूं
मुझ पे नजर रखते हो तुम
मुझे पता है
बहुत प्यार करते हो तुम
छोड़कर न चली जाऊं
इसलिए डरते हो तुम
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार