*शक्ति दो भवानी यह वीरता का भाव बढ़े (घनाक्षरी: सिंह विलोकित
शक्ति दो भवानी यह वीरता का भाव बढ़े (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद)
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शक्ति दो भवानी यह वीरता का भाव बढ़े
देश में समस्त चहुॅं ओर देशभक्ति दो
देशभक्ति दो सवारी सिंह पे सवार करें
बलिदान होने वाली राष्ट्र-अनुरक्ति दो
अनुरक्ति दो प्रणम्य भारत की भूमि लगे
साधना के पथ हेतु उचित विरक्ति दो
विरक्ति दो न हमें धन-वैभव की चाह रहे
शीश देश के लिए चढ़ाने वाली शक्ति दो
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश
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