*शक्ति आराधना*
शक्ति आराधना
व्रत हुए प्रारंभ,
संकल्प लिए प्रचंड।
निर्जला निराहार,
नौ दिन अखंड ।
देह को तपा कर,
मन हुआ संतुष्ट।
आत्मा की धूल,
ना इससे हुई दूर।
आओ मां के चरणों में,
स्वयं को चढ़ा दें।
क्रोध करें समर्पित,
लोभ करें भस्म।
ईर्ष्या को कर अर्पण
निर्मल कर लें मन।
तभी व्रत होगा संपन्न
तभी मां होंगी प्रसन्न।।
आभा पाण्डेय