शक्तिशाली
शक्तिशाली
जो भी शक्तिशाली हो , वह अंहकारी बनता ही हैं
अंहकार सबको उदारवाद का चेहरा दिखाता ही हैं
विरोधी हैं उसे उभरने का मौका भी नहीं दो
दबे कुचले को अदृश्य शक्ति , कर्मकाण्ड में उलझा दो
चालाकी से सबको उलझाकर सत्तासीन रहना हैं
प्रगति , बेरोजगारी , वैज्ञानिक मुद्दे भटकाना है
महिलाओं को अबला मत समझो , नव युग में समानता रहने दो
ना करो भेदभाव ऊँच – नीच का , अस्मिता , सम्मान हमेशा रहने दो
स्वंय को बहुत होशियार , शक्तिशाली और योजनाकार मानते है
इसलिए किसी की भी सूनते नहीं है , परामर्श पसंद नहीं हैं
इनके ही साथी मनगढ़ंत आचरन से सबका मनोबल तोड़ते है
उजूल – फजूल बड़े बोल बोलकर , अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारते हैं
भारतीयता के विविधता को एक कट्टरता में न बांधना हैं
भारतीयता में सभी को शासनकर्ता बनने का सभी को मौका हैं
*****
– राजू गजभिये