शंखनाद
# शंखनाद #
अब जागो शंखनाद करो
जीवन का सर्वस्व त्याग अब
करने को राष्ट्र-समर्पित जागो
कर्त्तव्य निर्वहन करने को
आचरण शुद्ध , निश्च्छल चरित्र,
गणवेश धार बस एक बार
गर्जना करो केसरी समान
अरिदल पर हो ऐसा प्रहार,
रुद्र-काल-भैरव बनकर,
प्रलयंकर सा तू कर संहार।।
दशकों से कण्टक होकर
प्रत्येक हृदय में रोदन भरकर
कष्ट दिया है जिसने,
उन आतंकी दैत्यों के
पाश कण्ठ में ऐसा डालो
शत्रु हलाहल पान करा दो।।
पुनः कभी साहस ना हो
आतुरता उनकी मरने की
शीघ्र अरे! अब पूर्ण करो।
क्या बाधा है?क्या शस्त्र नहीं?
क्या भूल गए करना प्रहार?
अब बातों के सिंह नहीं
प्रत्युत्तर दो, प्रत्युत्तर दो।