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30 Aug 2022 · 1 min read

वफ़ा

तुम्हारे खून में वफा शामिल थी…

मेरी नजरने तुम्हारा ही इंतखाब किया ….

कमाल ए इश्क की ये मंजिल थी

के उस ने zarre को आफताब किया….

मुखालफत तो बहुत की थी लोगो ने……

खुदा का शुक्र था के उसने कामयाब किया…..

बहुत से मरहले आए थे दरमिया अपने….

उन हादसों ने हमें और लाजवाब किया…

उसे जमाने का गम क्यों सताए भला…

खुदा ने जिस की दुआओ को मुस्तजाब किया….

हमें सुकून है आखिरी के पा ही लिया तुम को…

इश्क ने इश्क को क्या खूब फतेयाब किया………
ShabinaZ

Tumare khoon me wafa shamil thi…..
Meri nazar ne tumara hi intakhab kiya……

kamal sirf muhabba ka tha…..khuda ki qasam….
Ke us ne zarrai ko Aaftab kiya….

Mukhalfat to bahut ki thi logo ne……
Mager khuda ka shukr tha ke usne kaamyaab kiya…..

Bahut se marhale aaye kayi baar darmiya apne….
mushkilo ne to hame our lajwaab kiya…

Use zamane ka gham kyu sataye bhala…
Khuda ne jis ki duaao ki mustajaab kiya….

Hame sukoon hai aakhir ke pa hi liya tum ko…
Ishq ne ishq ko kya khoob fateyaab kiya…….ShabinaZ

.

.

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 250 Views
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