व्याकुल हृदय
तुम हवा से आ गयी
मैं समीर बन गया ।
तुम भोर की किरण
मैं सूरज बन गया ।।1।। तुम हवा से आ गयी……
इक्तफाक रख रहे
हम यूं मिल गए ।
तुम चांदनी बनी
मैं चांद बन गया ।।2।। तुम हवा से आ गयी……
तुम घटा घटा चली
मैं मेघ बन गया ।
तुम खुशुबू जब बनी
मैं फूल बन गया ।।3।। तुम हवा से आ गयी……
तुम राग जब बनी
मैं संगीत बन गया ।
बिखरे थे जो पल
मैं समेटता गया ।।4।। तुम हवा से आ गयी……
खाली थी कलम
मैं भरता चला गया ।
तुम शब्द बन गई
मैं शब्दकार बन गया ।।5।। तुम हवा से आ गयी……
जहां राग हैं गए
वही रागिनी गई ।
तुम गजल जब बनी
मैं कवि बन गया।।6।। तुम हवा से आ गयी……