व्याकरण कविता
व्याकरण अनंत विस्तृत है भाई।
महत्वपूर्ण हैं इसकी सभी इकाई।।
शब्दों का चयन, वाक्यों का गठन,
परस्पर संप्रेषण की करें अगुवाई।।
सही अर्थ और शुद्ध उच्चारण।
समृद्ध भाषा करती धारण।।
भाषा की शक्ति है व्याकरण,
और व्याकरण के नियम निवारण।।
हिंदी भाषा व्याकरण. वैज्ञानिकता सहित संचार ।
व्याकरण के हैं तीन अंग- वर्ण, शब्द, वाक्य विचार ।
वर्ण ध्वनि का रूप लघु, देवनागरी लिपि आधार।
तीन भेद हैं वर्ण के सबका अलग नाम आकार।।
हिंदी भाषा व्याकरण: वैज्ञानिकता सहित संचार
व्याकरण के तीन अंग हैं, वर्ण, शब्द, वाक्य विचार,
वर्ण हैं ध्वनि के रूप, देवनागरी लिपि इनका आधार।
तीन भेद हैं वर्णों के, सबका है अलग नाम और आकार,
स्वर, व्यंजन, अयोगवाह, तीनों का है अपना व्यवहार।
स्वर ग्यारह, व्यंजन तैतीस और दो हैं अयोगवाह ।
हृस्व, दीर्घ, प्लुत स्वर मात्रा की देते शीतल छाँह।।
हृस्व, दीर्घ,और प्लुत स्वर,मात्रा से सब नापे जाते।
जिह्वा की स्थिति उच्चारण से,स्वर तीन प्रकार के आते।
अग्र, मध्य, और पश्च स्वर, उच्चारण ढंग सिखलाते।
शब्दों का है महत्त्व बहुत,ये वर्णों से मिल
बन जाते ।।
शब्द भेद हैं तीन,रूढ़ शब्द, योगिक शब्द, और शब्द योगरूढ़।
शब्दों से भाषा अभिव्यक्ति होती मौलिक और सुदृढ़।।
उत्पत्ति के आधार पर शब्द होते हैं चार प्रकार।
सरल, मिश्र और संयुक्त,वाक्य भी होते हैं तीन प्रकार।।
व्याकरण का ये ज्ञान सुनो,है भाषा को देता सम्मान।
हर शब्द, हर वाक्य में,छुपा है इसका अद्भुत गान।।
शिक्षा का यह मूल है, भाषा का सच्चा वरदान,
व्याकरण है वह नींव, जिससे होता भाषा का निर्माण।
नीलम शर्मा ✍️