व्यवाहरिक त्रुटि
जैसा की सभी को ज्ञात है.
व्यवाहरिक कला साथ है.
हंसी ठहाके निकलने लगे.
सहनशक्ति कमतर होती गई,
मनुष्य जाति विक्षिप्त हो गई.
व्यवाहरिक प्रभाव घूमिल हुआ,
चमन का चैन धैर्य लुप्त हुआ.
बड गई दूरियां आदमी सन हुआ.
लेन देन घट गया, व्यापार धीमे हुआ.
लौट आये पटरी पर,पिटारा खुले.
पंचनामा कर के, वजह मिले.
फिर से लोग व्यवाहरिक हो सके.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस