व्यथित हूँ मैं भी
देश की समस्या
आम जन की समस्या
बन आई है अब तो
महंगाई की समस्या
हर जन त्रस्त है
महंगाई से पस्त है
खाने को रोटी नही
खाली ये दोनों हस्त है
सोचो ना दूजी राह है
दिल से निकलती आह है
हर इंसान मजबूर है
जीने की अब ना चाह है
फिर भी हमें साथ देना होगा
महंगाई के साथ जीना होगा
इसके अलावा ना कोई चारा है
ये कड़वा है पर घूंट तो पीना होगा
गर साथ ना दिया तो जी ना पाओगे
बेरहमी से तुम भी काट दिए जाओगे
कोई तालिबान घर में घुस जाएगा
और अफगानिस्तान बना दिये जाओगे
वीर कुमार जैन
27 अगस्त 2021