Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2016 · 1 min read

व्यथा

सूखे पत्तोँ की तरह बिखरा हुआ था मैँ, किसी ने समेटा भी तो केवल जलाने के लिए।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 641 Views

You may also like these posts

- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
🌹मेरे जज़्बात, मेरे अल्फ़ाज़🌹
🌹मेरे जज़्बात, मेरे अल्फ़ाज़🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
4858.*पूर्णिका*
4858.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
समय के आ मुसीबत के...
समय के आ मुसीबत के...
आकाश महेशपुरी
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
कवि रमेशराज
योग की महिमा
योग की महिमा
Dr. Upasana Pandey
"बिना माल के पुरुष की अवसि अवज्ञा होय।
*प्रणय*
आँसू बरसे उस तरफ, इधर शुष्क थे नेत्र।
आँसू बरसे उस तरफ, इधर शुष्क थे नेत्र।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुड़े पन्नों वाली किताब
मुड़े पन्नों वाली किताब
Surinder blackpen
प्रकृति ने
प्रकृति ने
Dr. Kishan tandon kranti
जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का
जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
संजीवनी सी बातें
संजीवनी सी बातें
Girija Arora
व्यथा
व्यथा
विजय कुमार नामदेव
माॅं की कशमकश
माॅं की कशमकश
Harminder Kaur
कर रहे नजरों से जादू उफ़ नशा हो जाएगा ।
कर रहे नजरों से जादू उफ़ नशा हो जाएगा ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
मजबूरी तो नहीं तेरा आना
मजबूरी तो नहीं तेरा आना
Mahesh Tiwari 'Ayan'
वेदना
वेदना
उमा झा
*जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)*
*जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)*
Ravi Prakash
मैं कैसे कहूं कि क्या क्या बदल गया,
मैं कैसे कहूं कि क्या क्या बदल गया,
Jyoti Roshni
पाँव फिर से जी उठे हैं
पाँव फिर से जी उठे हैं
Sanjay Narayan
बलबीर
बलबीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
देखो आसमान जमीन पर मिल रहा है,
देखो आसमान जमीन पर मिल रहा है,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
शेखर सिंह
तीसरी बेटी - परिवार का अभिमान
तीसरी बेटी - परिवार का अभिमान
Savitri Dhayal
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
साहिलों पर  .... (लघु रचना )
साहिलों पर .... (लघु रचना )
sushil sarna
कितने बेबस
कितने बेबस
Dr fauzia Naseem shad
बुद्धि सबके पास है, चालाकी करनी है या
बुद्धि सबके पास है, चालाकी करनी है या
Shubham Pandey (S P)
हार गए तो क्या अब रोते रहें ? फिर उठेंगे और जीतेंगे
हार गए तो क्या अब रोते रहें ? फिर उठेंगे और जीतेंगे
सुशील कुमार 'नवीन'
Loading...