Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Sep 2017 · 1 min read

व्यथा एक नव विवाहिता की



‌बहुत रोती हैं ये अँखियाँ,
‌बहुत रोती हैं ये अँखियाँ।
‌छोटी थी तब मां का साथ पाने को रोती थीं ये अँखियाँ।
‌अब बड़ी हुई तो माँ का साथ छोड़ने पर रोती हैं ये अँखियाँ।
‌कैसे समझाएं इन्हें कोई
‌बड़ी नासमझ हैं ये अँखियाँ।
‌अगर कुछ कहना चाहूं तो
‌बरस पड़ती हैं ये अँखियाँ।


‌रंजना माथुर दिनांक 17/06/17
‌ मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
‌©

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 470 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* साथ जब बढ़ना हमें है *
* साथ जब बढ़ना हमें है *
surenderpal vaidya
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
Dheerja Sharma
वस्तु काल्पनिक छोड़कर,
वस्तु काल्पनिक छोड़कर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शाकाहारी
शाकाहारी
डिजेन्द्र कुर्रे
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कैसे कहूँ ‘आनन्द‘ बनने में ज़माने लगते हैं
कैसे कहूँ ‘आनन्द‘ बनने में ज़माने लगते हैं
Anand Kumar
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
यार ब - नाम - अय्यार
यार ब - नाम - अय्यार
Ramswaroop Dinkar
कविता तुम क्या हो?
कविता तुम क्या हो?
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
तू भी धक्के खा, हे मुसाफिर ! ,
तू भी धक्के खा, हे मुसाफिर ! ,
Buddha Prakash
चोरबत्ति (मैथिली हायकू)
चोरबत्ति (मैथिली हायकू)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जुगुनूओं की कोशिशें कामयाब अब हो रही,
जुगुनूओं की कोशिशें कामयाब अब हो रही,
Kumud Srivastava
आप सभी सनातनी और गैर सनातनी भाईयों और दोस्तों को सपरिवार भगव
आप सभी सनातनी और गैर सनातनी भाईयों और दोस्तों को सपरिवार भगव
SPK Sachin Lodhi
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
अपने हुए पराए लाखों जीवन का यही खेल है
अपने हुए पराए लाखों जीवन का यही खेल है
प्रेमदास वसु सुरेखा
तू सरिता मै सागर हूँ
तू सरिता मै सागर हूँ
Satya Prakash Sharma
"चली आ रही सांझ"
Dr. Kishan tandon kranti
बदलाव
बदलाव
Dr fauzia Naseem shad
होली का रंग
होली का रंग
मनोज कर्ण
एक सच
एक सच
Neeraj Agarwal
2
2
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
■ बेहद शर्मनाक...!!
■ बेहद शर्मनाक...!!
*Author प्रणय प्रभात*
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
श्याम-राधा घनाक्षरी
श्याम-राधा घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
देखते देखते मंज़र बदल गया
देखते देखते मंज़र बदल गया
Atul "Krishn"
3267.*पूर्णिका*
3267.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
कवि दीपक बवेजा
*आबादी कैसे रुके, आओ करें विचार (कुंडलिया)*
*आबादी कैसे रुके, आओ करें विचार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
भांथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / मुसाफ़िर बैठा
भांथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
क्या हुआ ???
क्या हुआ ???
Shaily
Loading...