#कुंडलिया//देश-प्रेम
जानो सच्ची बात सब , बड़ा व्यक्ति से देश।
अहं भाव को छोड़ दो , यही सर्व आदेश।।
यही सर्व आदेश , फलेंगे मिलकर सारे।
देश प्रेम के साथ , गुँजेंगे जब भी नारे।
रहना है आज़ाद , देश प्रेमी बन मानो।
शान आपकी देश , देश से खुद को जानो।
राजा हो कमज़ोर तो , हम भी हैं कमज़ोर।
आए नहीं बहार तो , चमन रहेगा बोर।।
चमन रहेगा बोर , शक्तिशाली हो सत्ता।
संकट आएँ लाख , हिला सकें नहीं पत्ता।
सूरज से दिन धूप , चाँद निशि को हो ताज़ा।
प्रजा सुखी है आप , ध्यान देता जब राजा।
भरना घर ही आप का , सही नहीं है बात।
सबका भरता पेट जब , अच्छे हों दिन रात।।
अच्छे हों दिन रात , शक्तिशाली कहलाएँ।
तभी सुरक्षित देश , स्वस्थ जब हम बन जाएँ।
करो गौर यह बात , नहीं अगर यहाँ डरना।
पूरे दो अधिकार , खुदी का छोड़ो भरना।
सैनिक हिम्मत देश की , आज़ादी के मूल।
ख़ुशबू सबको बाँटते , खिलके जैसे फूल।।
खिलके जैसे फूल , भूलता क्यों यह मानव।
अपने सुख के हेतु , फिरे बनकर ख़ुद दानव।
सेवा करना ठान , बनाओ आदत दैनिक।
सरहद की दिन रात , करें रक्षा ज्यों सैनिक।
#आर.एस. ‘प्रीतम’