#व्यंग्य_कविता :-
#व्यंग्य_कविता :-
■ कैसे निभाए कुत्ता बेचारा…??
【प्रणय प्रभात】
दीवाली की देते हुए जोशीली बधाई।
मैंने जैसे ही कुत्ते की ओर मिठाई बढ़ाई।।
कुत्ते की चढ़ गई त्योरी।
बदल गई भाईचारे की थ्योरी।।
कुत्ते ने मिठाई को न सूंघा न खाया।
पूछने पर दांत निकालते हुए गुर्राया।
अपने पास रखो अपनी बधाई।
हम कुत्तों को नहीं पचती मिठाई।
तुम साल में एकाध बार खिलाओगे।
खाज-खुजली हो गई तो खुजाने आओगे?
बीते सालों के लड्डू वैसे ही नहीं पचे हैं।
ख़ुद देख लो हमारे बाल भी नहीं बचे हैं।
वैसे भी हमारे बीच नस्लों की लड़ाई है।
हमने ये सरहद दूर रहने को बनाई है।
अगर हमें तुम्हारे त्योहार भाते।
तो हम अपनी दुनिया अलग क्यों बसाते?
हम इंसान नहीं कुत्ते और गधे हैं।
तभी तो गले में बंदिशों के पट्टे बंधे हैं।
आइंदा हमारी सूखी चमड़ी पर रहम खाना।
हम कुत्तों से भाईचारा कभी मत निभाना।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)