#व्यंग्य-
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■ फेसबुक पर महान बनने के नायाब नुस्खे :-
【प्रणय प्रभात】
सोशल मीडिया का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है फेसबुक। जो हर किसी को स्वयंभू सेलीब्रेटी बनने का भरपूर मौक़ा देती है। फिर चाहे वो एरा-गैरा हो या नत्थू-खैरा। शर्त बस इत्ती सी है कि बन्दे की खोपड़ी में थोड़ी सी सनक हो। वो भी ऐसी, जिसकी भनक औरों से पहले उसे ख़ुद को हो। इसके अलावा और कोई योग्यता यहाँ मायने रखती ही नहीं। आइए! आज आपको बताते हैं झूठ, दम्भ और पाखण्ड से भरपूर इस नुमाइशी दुनिया में छा जाने के कुछ नायाब नुस्खे। जो आपको एक न एक दिन इस आभासी बस्ती की हस्ती बना कर ही दम लेंगे। कीजिए आज से ही। इन नुस्खों पर अमल की शुरुआत।
★ सबसे पहले चाहे जिसे फ्रेंड-रिकवेस्ट भेज कर अपनी फ्रेंड-लिस्ट को 5 हज़ारी बनाएं। लगना चाहिए कि आप भीड़ में घिरे हैं। फिर चाहे कोई आपको सूंघे या न सूंघे।
★ फ्रेंड-लिस्ट फुल होते ही दूसरा एकाउंट बना कर उसका ढिंढोरा पहली टाइम-लाइन पर पीटें और यहां भी 5 हज़ार मित्र बनने तक रिक्वेस्ट भेजते रहें। ताकि तीसरा एकाउंट बनाने की शुभ घड़ी जल्दी आए।
★ ध्यान रहे कि आपके पास पद, प्रतिष्ठा, ज़मीन-जायदाद, काम-धंधा हो न हो, कम से कम दो-तीन अकाउंट ज़रूर होने चाहिए। जिन से जुड़े बोगस फ्रेंड्स की तादाद हज़ारों में हो। चाहे घर और मोहल्ले के लोग आपके सगे हों या न हों।
★ सुबह, दोपहर, शाम और रात को केवल गुड मॉर्निंग, गुड आफ्टर नून, गुड ईवनिंग और गुड नाइट वाली पोस्ट डालें। अगर कुछ और लिखना करना छोड़ कॉपी-पेस्ट करना तक नहीं आता हो तो।
★ अपनी किसी पोस्ट पर आने वाले कमेंट्स का जवाब किसी को भूले से भी न दें। इससे आप हल्के में लिए जाने लगेंगे। हो सके तो हर पोस्ट में सौ-पचास लोगों को टैग ज़रूर करें। फिर चाहे किसी को आपकी हरकत भाए न भाए।
★ किसी दूसरे की पोस्ट पर कमेंट्स तो दूर की बात, लाइक तक भी ना करें। वर्ना आप “नालाइक” समझे जा सकते हैं। आपका काम लाइक्स बटोरना है, लुटाना नहीं।
★ अपने बर्थ वाले डे अथवा एनिवर्सरी आदि पर आने वाले बधाई संदेशों को पढ़कर खुश होते रहें, लेकिन मन में फूटने वाले लड्डुओं का चूरा अपनी वॉल पर न गिरने दें। किसी संदेश को लाइक भले ही कर दें भूले-भटके, लेकिन धन्यवाद भूल कर भी न दें।इससे आपकी सेलीब्रेटी वाली इमेज खतरे में पड़ सकती है।
★ जब लगे कि सौ-पचास (इससे ज्यादा आपसे कहां झेले आऐंगे) मित्र अपना काम कर चुके हैं, तो अपनी वॉल पर महानायक-नायिका वाले अंदाज में एक लाइन का धन्यवाद संदेश डाल दें, ताकि आपकी सलामती की दुआ करने वाले बेचारों का दिल रह जाए और सबको पता भी चल जाए कि आप कोई “सदाबहार नल्ले” नहीं हैं, जो सभी को मुंह लगाते फिरें।
★ गलती से भी (जिसकी संभावना बेहद कम है आपके मिजाज को देखते हुए) किसी की कोई चीज या बात (संदेश) पसंद आ जाए तो उसे उसकी वॉल पर नहीं बल्कि इन्बॉक्स में जाकर सराहें। भले ही उसने अपनी बात या विचार आपकी वॉल पर चिपकाई हो। इससे किसी को ये भी पता नहीं चलेगा कि आप पूरी तरह से निठल्ले हैं। सामने वाला बेचारा धन्य हो जाएगा। आपके जैसा शातिर नही होगा तो।
★ किसी को कोई बधाई देना ज़रूरी हो जाए तो वाल की जगह मैसेंजर में दें ताकि आप “मैंगो-मेन” (आम आदमी) बन कर न रह जाएं और “ख़ास” बने रहें। याद रहे कि बधाई दो-चार शब्दों से बड़ी न हो। एकाध इमोजी से काम चल जाए तो कहने ही क्या।
★ दिन में दस-बीस आयातित (इम्पोर्टेड) पोस्ट चिपकाते रहें। इसके लिए बिना लेखक के नाम वाली पोस्ट का चयन करें। ताकि वो आपकी अपनी मानी जाए और आपकी वाह-वाही हो। मान कर चलें कि जिसने भी लिखी है, आपके लिए लिखी है।
★ धार्मिक और ज्ञानप्रद पोस्ट ही डालें, ताकि सिविल-ड्रेस वाले संत माने जाएं और परमहंस कहलाएं। न भूलें कि यह काम बगुला-भगत बने बिना संभव नहीं।
★ महीने में दो-चार फोटो अच्छे रेस्टोरेंट, होटल या पिकनिक स्पॉट की डालते रहें। इसके लिए कहीं आना-जाना या धेला खर्च करना ज़रूरी नहीं। गूगल किस मर्ज की दवा है आखिर? ”लोकेशन” का “ऑप्शन” मिस्टर ज़ुकरबर्ग ने आपको दे ही रखा है। फिर टेंशन काहे की…?
सोच क्या रहे हैं। कर दीजिए आज से ही शुरूआत, इन उपायों पर अमल की। दीपावली से पहले दशहरे का शुभ मुहूर्त आप ही के लिए है। कुल मिलाकर व्यावसायिक (प्रोफेशनल) बनिए। व्यावहारिकता में क्या रखा है। घनघोर औपचारिकता और दिखावे का ज़माना है। अनौपचारिक व सहज-सरल लोग मां सरस्वती नहीं मां लक्ष्मी का वाहन माने जाते हैं आज के युग में…..।। जय फेसबुक,,,जय ज़ुकरबर्गवा। जय इसलिए कि उनकी वजह से कोई तो जाना आपको और हमको। वर्ना सच्चाई तो यह है कि हम हैं क्या…? न पिद्दी, न पिद्दी का शोरबा।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)