व्यंग्य -कविता
औरों को हँसाना जानते हैं
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हम भी बहाने बनाना जानते हैं ,
पसीने के पानी में हम भी नहाना जानते हैं ।
कोई और कुशूर कर जाता है लेकिन ,
किसी और पर आरोप लगाना लगाना जानते हैं ।
हम भी………..
शतरंज की चालें कोई चले ही भले ,
दिल में खन्जर भोंक कर कोई मिले ही भले ।
हालात देखकर माहौल का पता चल जाता है ।
हम तो प्यार करते हैं कोई जले ही भले ।
शतरंज की बाजी में हम भी फँसाना जानते हैं ।।
हम भी…………….
कुछ लोग खुद को होशियार समझ लेते हैं ,
कुछ लोग धोखेवाजों को यार समझ लेते हैं ।
खुद के ही हाथ को काट दे जो खंजर,
कुछ लोग उसे ही हथियार समझ लेते हैं ।
हम मौन हैं पर वातैं बनाना जानते हैं । हम भी…
कुछ को तो अपनों को सताने में मज़ा आता है,
कुछ को गैरों को हँसाने में मजा आता है ।
दुनिया में तरह तरह के लोग होते हैं ,
कुछ को तो औरों को रुलाने में मजा आता है ।
खुद रोकर औरों को हँसाना जानते हैं ।।हम भी…
डाँ0 तेज स्वरूप भारद्वाज