‘वो’
हाइकु
‘वो’
उड़ गया वो
बादल सा सपना
नैना हैं रीते…
बदल गया
मौसमी मिजाज था
दिल उसका
डूबता दिल
यादों के दरिया में
ढूँढे न मिला
रिश्ता उसका
सेमल सा बुझा
उदास पुष्प
प्रीत उसकी
क्षितिज रेखा सी
देखी न मिली
हाइकु
‘वो’
उड़ गया वो
बादल सा सपना
नैना हैं रीते…
बदल गया
मौसमी मिजाज था
दिल उसका
डूबता दिल
यादों के दरिया में
ढूँढे न मिला
रिश्ता उसका
सेमल सा बुझा
उदास पुष्प
प्रीत उसकी
क्षितिज रेखा सी
देखी न मिली