वो……..
दिखे वो ऐसे फलक में,
रचे वो ऐसे पलक में।
खिले वो ऐसे उपवन में,
मिले वो ऐसे नयनन में।
कि……….
मन मयूर नर्तन करने लगा,
तार-सितार झंकार करने लगा।
हम,हम कहां ,वो,वो कहां रहे ?
न हम यहां,न ही वो वहां रहे।
हमदम…. हरपल मन कहने लगा,
बस एक धुन एक राग बजने लगा।
सांसें भी कहां रही अपनी ?
वो भी वहीं सांसें लेने लगा।।