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3 Aug 2023 · 1 min read

*वो है खफ़ा मेरी किसी बात पर*

वो है खफ़ा मेरी किसी बात पर
**************************

वो है खफ़ा मेरी किसी बात पर,
कर दो दफ़ा दे दो वफ़ा माफ़ कर।

हटती नहीं नजरें निखरे चाँद पर,
छाया नशा सूरत बलाँ खास कर।

जलवे बड़े ही खूबसूरत छटा,
बेगम हुई भारी खुली ताश पर।

दो बूँद यूँ मकरंद मांगी जरा,
शायद भटककर वो चली राह पर।

है दास मनसीरत हुस्न जो खिला,
पाना उसे ही है हर हाल पर।
**************************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
169 Views
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