वो ही मुरझाए हुए गाल गवाही देंगे
——-ग़ज़ल——–
तेरे फैलाये हुए जाल गवाही देंगे
एक दिन तेरे ये आमाल गवाही देंगे
रोटियाँ सेंकी हैं जो तुमने यहाँ पर अपनी
करके जनता को जो बदहाल गवाही देंगे
फूल वो तेरे मुख़ालिफ़ ही खड़े होंगे वहाँ
जिनको कर डाला था पामाल गवाही देंगे
बनके ख़ुदग़र्ज़ जो छीने हैं निवाले सबके
अब ग़रीबों के वही थाल गवाही देंगे
जिस तरह तुमने फँसाया था हमें बातों में
हम भी अब चल के कोई चाल गवाही देंगे
छीन ली तुमने जो चेहरे की भूख से रौनक़
वो ही मुरझाए हुए गाल गवाही देंगे
देश को बेचने की सोच जो मन में प्रीतम
अब तुम्हारे ये बुरे ख़्याल गवाही देंगे
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती [उ०प्र०]
9559926244