वो हमें अपनी ज़िन्दगी में बाँध लेना चाहते हैं
वो हमें अपनी ज़िन्दगी में बाँध लेना चाहते हैं,
भला बहती हवा को कोई बांध सका है कभी।
वो हमें अपनी बाँहों में समेट लेना चाहते हैं,
भला उड़ती खुशबू को कोई समेट सका है कभी।
वो हमें अपने ही पास रोक लेना चाहते हैं,
भला निश्छल बहते प्रेम को कोई रोक सका है कभी।
वो हमें सदा के लिए सिर्फ अपना बना लेना चाहते हैं,
भला सूर्य की सुनहरी किरणों को कोई अपना बना सका है कभी ।
वो हमें अपने हाथों में पकड़ लेना चाहते हैं,
भला संसार में फैले प्रकाश को कोई पकड़ सका है कभी।
इन सब को अपने पास रोका नहीं जाता,
इन के साथ ही खुद भी बह जाया जाता है।
———— शैंकी भाटिया
सितम्बर 18, 2016