बीती यादें
वो सुनाते रहे गुज़िश्ता लम़्हों के किस्से ,
मैं डोलता रहा माज़ी की यादों में जिनसे ,
कुछ खट्टे – मीठे तसव्वुरात , कुछ ग़मगीन लम़्हे ,
कुछ शिक़वे , कुछ अदावतें , कुछ झूठे- सच्चे वादे ,
मसर्रत के वो पल , रूठने- मनाने के वो सिलसिले ,
ज़ेहन के पर्दे पर वो उभरतीं कुछ तस्वीरें, वो मरहले,
सब कुछ वक़्त की ग़र्दिश के
धुंधलके में खो सा गया है, ,
कुछ इस-क़दर पैवस्त यादों को
भुला दिल सो सा गया है।