वो सांझ
रोज एक आस के साथ बढता ये सवेरा,
रोज एक एहसास के साथ ढलती वो सांझ ।
पिता की ऊर्जा सा शक्ति वान ये सवेरा,
मां की ममता सी कोमल वो सांझ।
मेरे सामने रोज चुनौती रखता ये सवेरा ,
चुनौतियों को पूरा कर खुशी दिलाती वो सांझ ।
मेरे हौसलों को नई उड़ान देता ये सवेरा,
उड़ान को नई पहचान दिलाती वो सांझ ।
लोगों से मिलना और पहचान बनाता ये सवेरा,
पहचान को रिश्तों की गांठ तक ले आती वो सांझ।
दुनिया की हलचल में शोर मचाता ये सवेरा,
उस शोर के बाद सुकून पहुंचाती वो सांझ ।
रोज मुझे दुनिया में बिखेरता ये सवेरा,
रोज मुझे खुद में समेटती वो सांझ ।
कर्म पथ पर आगे बढ़ाता ये सवेरा,
रोज उसकी यादों का तूफान ले आती वो सांझ।
लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’
खरियार रोड, ओड़िशा।