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5 Dec 2020 · 1 min read

वो सपने

देखु रात मे तो नज़र आते है
दिन मे देखु तो धूमिल सा हो जाते है
वक़्त के किसी पखवाड़े को पकडू
एक सँभालने मे सारे बिखर जाते है
वो सपने……
काली रात मे ना जाने क्या सिखाते है
चांदनी हो तो धूमिल सा हो जाते है
पिरो दू खुद को इन सपनो मे
एक पूरा करो तो लाखो टूट जाते है
वो सपने……
कभी प्यार तो कभी ख़ुशी का अहसास दिलाते है
दूर से देखो तो पास नज़र आते है
पकडू कैसे उनको कोसिस करता हू दिन रात
नज़र से वे दूर होते जाते है
वो सपने……..
मिले थे कुछ महीनों पहले एक अहसास से
ख़ुशी हुई पाकर एक नई जिंदगी को
क्या पता था वक़्त फिर घूमेगा लेकर अपना चाबुक
तोड़ दिया उनको सँभालते सँभालते
वो सपने…….

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 1 Comment · 261 Views
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