वो सड़क का मोड़
‘वो सड़क का मोड़’
बचपन बीता और जवानी,
छोड़ गया वो एक निशानी।
सड़क के उस मोड़ से तो,
लगाव था सिर्फ रूहानी।।
मेरी नज़रों से वहाँ युगों-युगों तक नूर बहेगा।
वो सड़क का मोड़ युगों- युगों तक याद रहेगा।।
ठिकाना था वहाँ मेरे खाब का,
पन्ना था जिन्दगी की किताब का।
थी वहाँ चाँद- सितारों की दुनिया,
आशियाना था मेरे माहताब का।।
मुझसे ताउम्र मोड़ वो हमेशा कुछ न कुछ कहेगा।
वो सड़क का मोड़ युगों- युगों तक याद रहेगा।।
मुद्दतें बीती सपने सज़ाने में,
वक्त गुज़रा दिल को समझाने में।
सड़क के उस यादगार मोड़ पर,
हुए थे कर्ई हादसे अनजाने में।।
वो अक्सर करता है सजग और करता रहेगा।
वो सड़क का मोड़ युगों- युगों तक याद रहेगा।।
दबे- दबे से रह गए राज़ दिल के,
बेदर्दी से बजे साज़ दिल के।
वो हूर बनता गया गज़ल ‘भारती’ की,
पर समझ न सका अल्फाज़ दिल के।।
उन यादों को दिल ‘भारती’ का खुशी से सहेगा।
वो सड़क का मोड़ युगों- युगों तक याद रहेगा।।
–सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)