वो लड़की
देखते देखते दिल ले गई वो लड़की
कुछ कह पाता इससे पहले जाने कहाँ
खो गई वो लड़की
ढूंढ रहा हो के बेकरार सा थामे हुए दिल को अपने
न नींद आई न चैन आया फिर
सारा चैन सुकून अपने साथ ले गई वो लड़की
खो गया उसकी गहरी आँखियों में शायद
आंखों में इशारा कर गई वो लड़की
कह न सका हाल ए दिल अपना
फिर भी मेरे दिल की धड़कन बन गई वो लड़की
उसकी मीठी बातों में बह गया जाने कैसे
सुनकर उसकी प्यारी बातें खुद को भुला बैठा
इक मधुर संगीत सा सुना गई वो लड़की
न रह गया होश बाकी गया इस कदर गुम हुआ
उसकी यादों में
सिखाकर प्यार दीवाना बना गई वो लड़की।
सब कुछ लगने लगा प्यारा सा अचानक
जगाकर अरमान सारे सपने नए दिखा गई वो लड़की
“कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक