वो लोग कोई और हैं जो कर गुज़र गए।
वो लोग कोई और हैं जो कर गुज़र गए।
हम तो कर गुज़रने में ख़ुद ही गुज़र गए।
वो लोग कोई और हैं जो कर गुज़र गए।
ख़ुशबू, बहार, तितली, उनको नसीब थी
हर डाल हमको सूखी मिली, जिस भी नगर गए
वो लोग कोई और हैं जो कर गुज़र गए।
हम तो कर गुज़रने में ख़ुद ही गुज़र गए।
वो लोग कोई और हैं…
उनको मिली थी छांव भी हर एक दरख़्त की…
हम तो जिधर से भी गुज़रे, पत्ते बिखर गए
वो लोग कोई और हैं जो कर गुज़र गए।
हम तो कर गुज़रने में ख़ुद ही गुज़र गए।
वो लोग कोई और हैं जो कर गुज़र गए।
उनका वो गुज़रना, मंज़िल की राह थी
हमको लगी थी ठोकर, रस्ते बदल गए
वो लोग कोई और हैं जो कर गुज़र गए।
हम तो कर गुज़रने में ख़ुद ही गुज़र गए।
वो लोग कोई और हैं जो कर गुज़र गए।
(अब इस गीत को थोड़ा दूसरा रूप देते हैं,
जो अब उनके कर गुज़रने की बात हो रही थी उसे छोड़ अब ये बात करते हैं कि हम पे क्या गुज़र रही है…तो सुनिए)
गुज़रे उधर जो उनके, ये ख़बरों की बात थी
रोना तो हमको तब आया जब अपने गुज़र गए
हम तो कर गुज़रने में ख़ुद ही गुज़र गए।
अश्कों में था समंदर, पसीना बदन पे था
नहाए नहीं थे हम, फिर भी निखर गए
हम तो कर गुज़रने में ख़ुद ही गुज़र गए।