वो रूठी-रूठी सी रह गयी.. मैं तन्हा -तन्हा सा रह गया…!!
उसकी जिंदगी से होकर, क्यूँ मैं बिन कहे गुज़र गया..
उसके जज़्बातों को जगाकर, क्यूँ मैं फिर से तन्हा कर गया..
उसे तसल्ली तक ना दे सका, जिसके अरमान जगाकर मैं बढ़ गया..
उसकी नज़रों से ही तमाम बातें होती थी, अब उसकी नज़रों में ही गिर कर रह गया..
कई दफ़ा उसकी ख़ामोशी भी बोलती थी, उसकी आवाज़ भी सहम जाती थी, मैं उसके जज़्बातों का गला घोंटकर बढ़ गया..
जो मेरे हर अच्छे -बुरे मज़ाक पर हँसा करती थी, उसी की मुस्कुराहट तक को मैं छीन गया..
उसका नाम लेने भर से जो खिलखिला जाया करती थी, उसी को मैं मुरझाता हुआ छोड़ गया..
सब कुछ सहकर भी वो चुप होकर रह गयी,
मैं सबकुछ जानकर भी अनजान बनकर देखता गया..
वो रूठी-रूठी सी रह गयी..
मैं तन्हा -तन्हा सा रह गया…!!
❤️Love Ravi❤️