#वो याद आ रहे
जिसे भूला चुका हूँ वो याद आ रहे
सोते, जागते बस उन्हीं के खयाल आ रहे हैं,
खिड़की, दरवाजे खुल गये हैं मकां के मेरे
हवाएँ छूकर आ रही हैं उन्हें, ये झरोखे बता रहे हैं,
अभी अभी आँख लगी हैं बस मेरी
और वो रखकर सर मेरा गोद मे अपने, सहला रहे हैं,
कौन करता हैं यहाँ बिना मलतब के बातें
कितने अच्छे लग रहे वो बतलाए जा रहे हैं।