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11 Nov 2018 · 1 min read

वो मेरी दोस्त

वो दोस्त मेरी
मुझे औरो से कुछ अलग सी लगती है
मैं उससे कैसे कहूँ
वो मुझे मेरे जिस्म में
रूह जैसी लगती है
उसके जन्मदिन पर दुआएं दूँ या ना दूँ
वो मुझे कहाँ
मुझसे जुदा सी लगती है
वो मुझे मंदिर का भगवान
मस्जिद का ख़ुदा सी लगती है
वो मुझे मेरे कलम की
स्याही जैसी लगती है
मेरे मंजिल की आसान
डगर सी लगती है
मैं उसे जुगुनू क्यो भेंट करूँ
वो तो मुझे
सितारों के आसमान सी लगती है
वो दोस्त मेरी रहे हमेशा
हाथ उठकर उसके जन्मदिन पर
ये दुआ करता है–अभिषेक राजहंस

Language: Hindi
3 Likes · 229 Views
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