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5 Mar 2022 · 1 min read

वो मुहब्बत है कहाँ

आजकल धंधा हुआ है अब इबादत है कहाँ
जो हमें नज़दीक लाये वो मुहब्बत है कहाँ

सिर्फ़ चाँदी के महल में आजकल मुजरा करे
जो ग़रीबों की सुने ऐसी अदालत है कहाँ

बिन दिए उपहार कोई काम अब होता नहीं
घूस के इस दौर से दफ्तर सलामत है कहाँ

है बढ़ी बेरोजगारी और महँगाई बहुत
जो चुनावों में किया वादा वो राहत है कहाँ

यूँ तो मैं उपकार ही करता रहा हूँ उम्र भर
पर न पूछो आजकल मुझसे अदावत है कहाँ

है सियासत ये खड़ी बस झूठ की बुनियाद पर
सच तो मैं कह दूँ मगर इसकी इजाजत है कहाँ

वो जमाना लद चुका ‘आकाश’ अब के दौर में
दर्द सबका बाँट लेने की वो चाहत है कहाँ

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 05/03/2022

4 Likes · 3 Comments · 436 Views
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