वो मुझे दफनाकर अब फुर्सत से जी रही हैं।
वो मुझे दफनाकर अब फुर्सत से जी रही हैं।
गैर की बाहों में अपने मतलब से जी रही हैं।।
मेरा कत्ल करके तमाम सबूत मिटाने वाली।
बहुत ही दिनों के बाद खैरियत से जी रही है।।
जिसे खून के इल्जाम में सजा-ए-मौत होती।
बरी होकर अब वो भी शोहरत से जी रही है।।
शायद कानून भी उसका पुराना आशिक है।
इसलिए वह आजकल इज्जत से जी रही है।।
कभी मेरे ही मकान में किराए पर रहने वाली।
आज मेरे ही घर में मिल्कियत से जी रही है।।
————– रवि सिंह भारती————-
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