वो मिला मुझको
वो मिला मुझको बेवफ़ा की तरह
मैंने चाहा जिसे ख़ुदा की तरह
याद ऐसे किसी की आई है
जैसे आये कोई सबा की तरह
देखता हूँ तो बहक जाता हूँ
उसकी आँखों में है नशा की तरह
है दहकने लगी ज़मीं मन की
काश छा जाए वो घटा की तरह
दिल से कोई ‘असीम’ गुज़रा है
चन्द लम्हों में दिलरुबा की तरह
©️ शैलेन्द्र ‘असीम’