वो माँ ही तो है l
वो माँ ही तो है।
जिसने लगाया है सीने से मुझ को
दिल का टुकड़ा बनाया है मुझ को
जिसकी दुआये सदा मेरे हित में है
वो माँ ही तो है।……..
कभी न सुलाया है गीले पे उसने
झुलाया है बाहो के झूले पे उसने
सुनाती वो लोरी सर्द रातों में भी है।
वो माँ ही तो है।…………
रोता हूँ मैं ,तो नयन उसके है रोये
मेरे जागने से ,कभी वो न सोये
मेरी हर खुशी में ,उसकी खुशी है।
वो माँ ही तो है।………………
उसकी दुआओ में मेरा भला है
जन्नत है गोदी पुत्र जिसमें पला है
मेरी एक हँसी पे जो लुटाती जहाँ है।
वो माँ ही तो है ।……………….
पूछे जो मुझसे, क्या जन्नत को देखा
खुदा ओर खुदा की इनायत को देखा
रब दी कसम मैं सच ही कहूँगा
वो माँ ही तो है ,वो माँ ही तो है।
वो माँ ही तो है।…………
मेरे लिए वो सारे जहाँ से लड़ी
मुश्किल में मुझसे आगे खड़ी
सलामती की मेरी जो करती दुआ है।
वो माँ ही तो है।……………..
कभी हूक उठती तो उसका है एक हल
भागू ओर दौडू छुपू माँ के आँचल
माँ के आँचल में मिलती खुशी है ।
वो माँ ही तो है।…………
चाँद तारों की लोरी ,माँ मुझ को सुनाती
हल्के प्यारे हाथों से थपकी लगाती
अपना सारा जहाँ माना है मुझ को
नजर न लगे काला टीका लगाती
रोये जो हम तो ,वो भी तो रोई है।
वो माँ ही तो है।……..
राघव दुबे
इटावा (उ०प्र०)
8439401034