वो बोली – अलविदा ज़ाना
जिसे खुद से ज्यादा प्यार किया
जिसे खुद से बढ़कर पहचाना
क्या बात हुई कुछ पता नहीं
वो बोली – अलविदा ज़ाना
वो दिल मैं उसकी धड़कन था
वो सवाल मैं उसकी उलझन था
सब भूल गई कुछ याद रहा
जो कल था वो ना आज रहा
वो कहती थी तुम मेरे हो
बिना तुम्हारे सब कुछ वीराना
क्या बात हुई कुछ पता नहीं
आज वो बोली – अलविदा ज़ाना
वो लहर मेरे समंदर की
वो हर पल दिल के अंदर थी
वो दूर हुई सब जुदा हुए
सब लब्ज़ो- महफ़िल बंजर थी
थी जन्नत उसकी बाहों में
और सजदा उसका सद- शुकराना
क्या बात हुई कुछ पता नहीं
आज वो बोली – अलविदा ज़ाना