वो बचपन के दिन !
वो बचपन के दिन भी
कितने सुहाने थे
हम अपने में मस्त
औरों से बेगाने थे ।
ना पता था चिंता क्या है ?
नासमझ थी चिंतित क्यों है ?
ना पता था डर क्या है ?
ना लगता था कोई डरावना क्यों है ?
खिल रहे थे जीवन में
नित्य ढेर सारे रंग
पता था
बस मस्ती और उमंग ।
बदला सब कुछ धीरे-धीरे
सीखा सब कुछ हमने भी हौले-हौले
कुछ अपनों से
कुछ मित्रों से
कुछ किसी सबक से
कुछ किसी नसीहत से ।
उलझे फिर हम भी
इस दुनियादारी में
सुलझ न सके फिर कभी
इस माया नगरी में ।
अब तो वो पल
जो छिपा है
सिर्फ यादों में
आती है
फिर वो याद
जो दिलाती है
फिर से हमें
वो बचपन के दिन………………
(आप सभी को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)