वो पहली पहली मेरी रात थी
वो पहली पहली मेरी रात थी,
जब उनसे हुई मुलाकात थी।
चांद भी उपर से झांक रहा था,
वो पूनम की चांदनी रात थी।
आसमा भी कुछ कह रहा था,
झिलमिल तारो की बारात थी।
धीर धीरे उन्होंने घूघट उठाया था,
फिर आंखो आंखो में हुई बात थी
बाहों में उन्होंने मुझे भर लिया था,
मुझे भी अब न कोई शिकायत थी।
सिलवटे चादर पर बहुत पड़ी थी,
वो भी कह रह हमारी ही बात थीं।
सो न सके हम दोनो पूरी रात भी,
अलसायी आंखे कह रह बात थी।
रस्तोगी इससे ज्यादा क्या लिखे,
उसकी कलम भी अब अघात थी।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम