वो नहीं हूँ अब
मैं बदल रही हूँ
पल पल हर क्षण….
कल कुछ और थी
आज हूँ कुछ और ,
भीतर बाहर कहीं भी
अब बैसा कुछ नहीं….
कहीं कमज़ोर तो कहीं
प्रखर भी हो रही हूँ…
वो नहीं हूं अब
मैं बदल रही हूँ
बालों की सफेदी को
जैसे तैसे छुपाती हूँ ,
चेहरे की लकीरों से
कभी डर जाती हूँ…..
तेज बहती सरिता थी
आज थोड़ा ठहर रही हूँ
वो नही हूँ अब
मैं बदल रही हूँ
पल में खुश ,घड़ी में
उदास हो जाती हूँ ,
खुद के साथ अब
ज्यादा वक्त बिताती हूँ….
कल थोड़ी नादान थी
आज समझदार हो रही हूँ
वो नहीं हूँ अब
मैं बदल रही हूँ
सीमा कटोच