वो दौर अलग था, ये दौर अलग है, वो दौर अलग था, ये दौर अलग है, ‘जिस्म-ओ-जाँ’ की चाहत को लोग मतलब का नाम देते हैं ©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”