वो देखते ही खिलखियाए
वो देखते ही खिलखियाए
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वो देखते ही खिलखिलाए,
काम आ गई सारी वफाएं।
मुस्करा कर नजरें मिलाई,
थोड़ा थोड़ा सा वो शरमाई,
बात दिल की कैसे बताएं।
काम आ गई सारी वफाएं।
ले हाथ,हाथ में था दबाया,
खिल उठा फूल मुरझाया,
हाल ए दिल क्या सुनाएं।
काम आ गई सारी वफाएं।
नजारा जन्नत का आया,
इंगित इशारा समझ आया,
भाव प्यार के कैसे छुपाएं।
काम आ गई सारी वफाएं।
सीधा तीर सा था निशाना,
चल पाया ना कोई बहाना,
जिंदा जीने की हैं आशाएं।
काम आ गई सारी वफाएं।
मनसीरत अदा का दीवाना,
प्यारा प्रेम का वो नजराना,
चहक उठी सारी दिशाएं।
काम आ गई सारी वफाएं।
वो देखते ही खिलखिलाए,
काम आ गई सारी वफाएं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)