वो दिल में रहता है
वो दिल में रहता है मेरे, बस जुबां है कि हिलता नहीं
खुशबू सा घुला है हवाओं में बस जां कह गले मिलता नहीं।
मैं सदियां गवाए से बैठी थी सच, चाह में उसके
वो जब राह में मिला तो लब मेरे हक में हिलता नहीं
~ सिद्धार्थ
2.
कौन खील ठोक कर सदियों रहने इस दहर में आया है
आज अगर तुम गए तो पीछे हमारा बुलावा भी तो आया है
~ सिद्धार्थ