वो दिलनशीं कहाँ है!
मैं ढूढता हूँ जिसको, वो दिल नशीं कहाँ है!
है ख्वाब में जो आती, वो दिल्लगी कहाँ है!
मेरा चमन खिलेगा, जब मुस्कुराएगी तू,
मैं बेकरार आजा, ऐ दिलकशी कहाँ है!
तू चांद है हमारा, जिसको निहारता हूँ!
दिल मे करे उजाला, वो चांदनी कहाँ है!
जीवन है मेरा सूना, तेरी सुनें न रुन झुन,
जो गुनगुनाता हूँ मैं, वो रागिनी कहाँ है!
प्रेमी बना मैं तेरा, अब लग नहीं रहा दिल,
दिल मे सजा ले अपने, ऐ बेकली कहाँ है!
……. ✍ प्रेमी