वो तो एक पहेली हैं
मीठी सी उसकी मुस्कान हैं,
प्यारी लगती उसकी अटखेली हैं।
क्या नाम उसे दूँ मैं,
वो तो एक पहेली हैं।।
कहो सुबह की ताज़गी,
या फिर वो सादगी हैं।
करती मदहोश,
वो तो एक पहेली हैं।।
साथ हैं उसका बड़ा प्यारा,
पूरा जग हैं उस पर वारा।
सबसे जुदा अजनबी सी,
वो तो एक पहेली हैं।।
आँखों की जुबां हैं कहती,
दिन भर उसे देखा करती।
टकटकी लगाए,
वो तो एक पहेली हैं।।
ऋतुएँ चाहे बदल भी जाये,
उसके मन में कोई बदलाव नहीं।
इंद्रधनुष के रंगो सी,
वो तो एक पहेली हैं।।
कभी लगती वो मासूम,
तो कभी दिखती वो उसकी ज़िम्मेदारी।
कोई बुझ भी ना पाए ,
एक अनसुलझी सी,
वो तो एक पहेली हैं।।
महेश कुमावत