–वो तस्वीर तेरी —
देख कर इस तस्वीर को
मदहोशी सी आने लगी
इन आँखों से आपने क्या कहा
धड़कन है बताने लगी
खोल कर जुल्फोन को
जो आपने अंदाज बयान किया
आपके होठों ने आकर
सब कुछ बता दिआ
यह हलकी सी मुस्कान
दिल को मोहित कर गयी
आपने कविता लिखने को कहा
मेरी भी कलम लिखने चल दी
अजीत कुमार तलवार
मेरठ