वो झील-सी हैं, तो चट्टान-सा हूँ मैं
वो झील-सी हैं, तो चट्टान-सा हूँ मैं
वो तितली-सी हैं, तो बाग-सा हूँ मैं
वो घर-सी हैं, तो सूना मकान-सा हूँ मैं
वो प्रसन्न-सी हैं, तो परेशान-सा हूँ मैं
वो बारिश-सी हैं, तो भीगा इन्सान-सा हूँ मैं
वो मन्दिर-सी हैं, तो श्मशान-सा हूँ मैं !
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