वो जबान है हिंदी
(हिंदी पखवाड़े में हिंदी पर रचनायें)
छंद सार (मापनी मुक्तमक)
मात्रा भार- 16,12 = 28
पदांत- है हिंदी
समांत- आन
जन जन की है भाग्य विधाता, आन बान है हिंदी.
शान तिरंगे जैसी इसकी, स्वाभिमान है हिंदी.
दुनिया कहती हमको हिन्दीी, हम हैं हिन्दुंस्तामनी,
भारत की बानी है प्या्री, राष्ट्रगान है हिन्दी.
देवगिरा का हाथ है सिर पर, सजा सँवारा इसको,
देवानां प्रिय, प्रियम्वदा है, वर्द्धमान है हिन्दीी.
निर्धन का सम्बल बनती है, श्रीमंतों की आभा,
हर भाषा भाषी में रहती, निरभिमान है हिंदी.
भारत को जग कभी शून्य से, आज योग से जाना,
इक दिन हिंदी जानेगा जग, वो जबान है हिंदी