वो चले गए
कुछ यादें साथ लेकर
कुछ यादें हमें दे कर
देखो वो चले गए ।
जरा सा मुस्कुरा कर हँसकर
हमारी आंँख में आंँसू भर कर
ऐसे वो चले गए ।
कितने दिनों के बाद मिलकर
कुछ दिन ना मिलेंगे कहकर
कैसे वो चले गए ।
रोकने हम गए खुद चलकर
तेज धूप की आग में जलकर
फिर भी वो चले गए ।
आरजू पूरी की हमने शरमाकर
बड़ी मुश्किल से घबराकर
लेकिन वो चले गए ।
वेवश थे और भी बेकरार होकर
हमें रुला कर और खुद रो कर
आखिर वो चले गए ।
अब याद आते हैं वो रह- रहकर
घुट रही हूं वो यादें सह- सह कर
क्यों वो चले गए।
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव