वो गली का मुहाना,वो नुक्कड़ की दुकान
वो गली का मुहाना,वो नुक्कड़ की दुकान
तमाशबीनों का जमवाड़ा,
चौक,गली मोहल्ले पर था उसका रोज का आना जाना …जिसके बेसबब छीटा कसी से विवश हो जाती थी बेटियां ..
ब्याहने जिनके लिए वो ढूंढ रहे है आज वो ही बेटियां ?
प्रसूति पूर्व दादी देती जो ताने ,
वो काट रही आज बहु बिन अंतिम सांसे ..
भय ग्रशित, व्यथित प्रसव का अंतिम पखवाड़ा…
वो भाई जो कभी बहन का सोसल मीडिया चलाने लिए बंदिशे लगाया था करता,
वोआज खोज रहा सोसल मीडिया में ब्याहने हेतु लड़कियां
वो झूठे भीष्म से रिश्तेदार ,जो इन कृत्यों मौन हो देते थे बढ़ावा …
आज झेल रहे सुना आंगन
लाख साजिशे कर ले जमाना ,
बिटिया तुझको ही लाना ..
ये प्रश्न करती अश्रु दुहरे चरित्र …
छिपे प्रस्तुत प्रतिजन को..
धृत राष्ट्र ,शकुनी,दशानन या .. निर्भया हत्यारे को..
कब ?,कब?,कब?,तक मुक बधिर..बने रहोगे..तुम सब?
प्रति पल प्रश्न प्रतिध्वनियां टकराती ,प्रति उत्तर “कब”??केवल लौट के आती है..
केवल स्टेटस अपडेट करो? …महिला दिवस बधाई का…
✍️महिला दिवस पर विशेष
पंअंजू पाण्डेय अश्रु