वो ख्वाबों में सपने संजोती तो होगी
वो ख्वाबों में सपने संजोती तो होगी
कभी मुस्कुराकर वो रोती तो होगी
महसूस कर वो पुरानी सी यादें
बिखरे से मोती वो पिरोती तो होगी
मिलेंगे कभी जो किसी मोड़ पर हम
तो होगी,
अश्कों से आसूं खुद ही छुपाकर
जरा मुस्कुराकर वो रोती तो होगी
ओ उद्धव बता क्या कहा राधिका ने
मेरी मां से मिलने वो जाती तो होगी
“कृष्णा”ये पागल हुआ राधिका बिन
वो बचपन की बातें बताती तो होगी
✍️कृष्णकांत गुर्जर